Silk Smitha: ऐसे शुरू हुई सिल्क स्मिता की असली 'डर्टी पिक्चर', यहां पढ़िए 10 अनसुनी कहानियां
Silk Smitha: ऐसे शुरू हुई सिल्क स्मिता की असली 'डर्टी पिक्चर', यहां पढ़िए 10 अनसुनी कहानियां

भारतीय सिनेमा ने ऐसा दौर भी देखा है जब तमाम हिंदी फिल्में सिर्फ इसके कॉमेडियन्स मसलन महमूद या जॉनी वाकर का नाम सुनकर वितरकों के बीच बिक जाया करती थीं। वहीं दक्षिण भारत में एक अभिनेत्री ऐसी रही जिसने अकेले अपने बूते न जाने कितनी फिल्मों की नैया पार लगा दी। नाम था विजयलक्ष्मी। लेकिन, विजयलक्ष्मी के चाहने वालों का सैलाब तब आया जब फिल्मों में इन्हें नाम मिला, सिल्क स्मिता। 2 दिसंबर 1960 को जन्मी सिल्क ने मात्र 17 साल के अपने फिल्मी करियर में ही साढ़े चार सौ से ज्यादा फिल्मों में काम करके तहलका मचा दिया। 23 सितंबर 1996 में अपने घर में वह पंखे से लटकी हुई पाई गईं। सिल्क की जिंदगी पर वैसे तो तीन फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन इनमें जो कहानियां आपको देखने को नहीं मिली, वे हम सुनाएंगे।

गरीबी के चलते छोड़नी पड़ी पढ़ाई
सिल्क का जन्म एक गरीब तेलुगू परिवार में हुआ था। उनकी मां और पिता काम करके किसी तरह अपना और अपने बच्चों का भरण पोषण करते थे। थोड़ी बड़ी होने पर एक सरकारी स्कूल में सिल्क का दाखिला करवाया गया ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ किताबी ज्ञान और दुनियादारी सीखें। लेकिन, चौथी कक्षा में ही सिल्क को स्कूल छोड़ना पड़ा। सिल्क के माता पिता इतना पैसा अर्जित न कर सके जिससे वह सिल्क को पढ़ा सकें। लौट कर सिल्क को घर का चूल्हा चौका ही संभालना पड़ा। उस समय सिल्क मात्र 10 साल की ही थीं।
सिल्क का जन्म एक गरीब तेलुगू परिवार में हुआ था। उनकी मां और पिता काम करके किसी तरह अपना और अपने बच्चों का भरण पोषण करते थे। थोड़ी बड़ी होने पर एक सरकारी स्कूल में सिल्क का दाखिला करवाया गया ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ किताबी ज्ञान और दुनियादारी सीखें। लेकिन, चौथी कक्षा में ही सिल्क को स्कूल छोड़ना पड़ा। सिल्क के माता पिता इतना पैसा अर्जित न कर सके जिससे वह सिल्क को पढ़ा सकें। लौट कर सिल्क को घर का चूल्हा चौका ही संभालना पड़ा। उस समय सिल्क मात्र 10 साल की ही थीं।

कम उम्र में हो गई शादी
सिल्क उम्र में तो छोटी ही थीं लेकिन वह दिखने में बड़ी लगने लगी थीं। समय से पहले ही उनका दैहिक विकास इतनी तेजी से हुआ कि खुद उनके माता पिता भी न समझ पाए कि उनकी बेटी इतनी जल्दी बड़ी हो गई। उम्र तो कम थी ही, उसी हिसाब से बुद्धि विवेक भी ज्यादा नहीं था। क्योंकि सिल्क सिर्फ देह से ही बड़ी हुई थीं। सिल्क की बेफिक्री उनके माता पिता के लिए चिंता का विषय थी। वह सिल्क के बारे में सोचने पर मजबूर हो गए। माता पिता को सिल्क एक जवान लड़की लगने लगीं तो उन्होंने उनकी शादी करने की ठानी। और बहुत ही कम उम्र में सिल्क का ब्याह एक मजदूर से कर दिया गया। इस तरह माता पिता ने अपने सिर से बोझ हल्का किया।
सिल्क उम्र में तो छोटी ही थीं लेकिन वह दिखने में बड़ी लगने लगी थीं। समय से पहले ही उनका दैहिक विकास इतनी तेजी से हुआ कि खुद उनके माता पिता भी न समझ पाए कि उनकी बेटी इतनी जल्दी बड़ी हो गई। उम्र तो कम थी ही, उसी हिसाब से बुद्धि विवेक भी ज्यादा नहीं था। क्योंकि सिल्क सिर्फ देह से ही बड़ी हुई थीं। सिल्क की बेफिक्री उनके माता पिता के लिए चिंता का विषय थी। वह सिल्क के बारे में सोचने पर मजबूर हो गए। माता पिता को सिल्क एक जवान लड़की लगने लगीं तो उन्होंने उनकी शादी करने की ठानी। और बहुत ही कम उम्र में सिल्क का ब्याह एक मजदूर से कर दिया गया। इस तरह माता पिता ने अपने सिर से बोझ हल्का किया।

बुरे बर्ताव के चलते छोड़ दिया ससुराल
जिस घर में सिल्क शादी करके पहुंचीं, वहां भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता था। पति अव्वल दर्जे का शराबी था। शराब पीकर वह सिल्क को पीटता था और उसकी गलतियों की गालियां उसके परिवार जन सिल्क को ही सुनाते थे। कभी कभी उनके देवर और ननद उन्हें पीट भी देते थे। उन्हें समझाने वाला कोई था नहीं इसलिए वह अपने घर को संभाल न सकीं। और, सिल्क घर छोड़कर भाग गईं और सीधे चेन्नई पहुंच गईं। वहां पहुंचकर उन्होंने दक्षिण भारतीय फिल्मों की एक अभिनेत्री के यहां नौकरानी का काम करना शुरू किया। सिल्क बचपन से ही फिल्में देखने की बहुत शौकीन थीं। उन्हें जब भी फिल्म देखने का मौका मिलता तो वह अपनी दुनिया को छोड़कर उस फिल्मी दुनिया में ही कहीं खो जातीं। इस अभिनेत्री के घर एक नौकरानी के रूप में काम करने का मौका सिल्क ने इसलिए नहीं छोड़ा क्योंकि उनकी भी इच्छा कुछ ऐसा ही करने की थी।
जिस घर में सिल्क शादी करके पहुंचीं, वहां भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता था। पति अव्वल दर्जे का शराबी था। शराब पीकर वह सिल्क को पीटता था और उसकी गलतियों की गालियां उसके परिवार जन सिल्क को ही सुनाते थे। कभी कभी उनके देवर और ननद उन्हें पीट भी देते थे। उन्हें समझाने वाला कोई था नहीं इसलिए वह अपने घर को संभाल न सकीं। और, सिल्क घर छोड़कर भाग गईं और सीधे चेन्नई पहुंच गईं। वहां पहुंचकर उन्होंने दक्षिण भारतीय फिल्मों की एक अभिनेत्री के यहां नौकरानी का काम करना शुरू किया। सिल्क बचपन से ही फिल्में देखने की बहुत शौकीन थीं। उन्हें जब भी फिल्म देखने का मौका मिलता तो वह अपनी दुनिया को छोड़कर उस फिल्मी दुनिया में ही कहीं खो जातीं। इस अभिनेत्री के घर एक नौकरानी के रूप में काम करने का मौका सिल्क ने इसलिए नहीं छोड़ा क्योंकि उनकी भी इच्छा कुछ ऐसा ही करने की थी।

बड़ी गाड़ी देखकर बदला मन
सिल्क ने घर के काम भी बचपन से ही किए थे इसलिए उस अभिनेत्री के घर को भी सिल्क ने बहुत अच्छे से संभाला। अब सिल्क उस अभिनेत्री के निजी कामों में भी हाथ बंटाने लगी थीं। यहां तक उस अभिनेत्री का मेकअप करके उसे तैयार करने का काम भी सिल्क ने ही करना शुरू कर दिया। यहां काम करने का सिल्क को एक फायदा और मिल रहा था। वह उस अभिनेत्री से मिलने आने वाले फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों से भी जान पहचान बढ़ाने लगी थीं। एक दिन एक जाने माने फिल्म निर्माता की गाड़ी देखकर सिल्क बहुत प्रभावित हुईं और वह दूर से ही खड़े होकर उसे निहारने लगीं। इस पर उनकी मालकिन ने तंज कसते हुए कहा कि इस बड़ी गाड़ी को देखकर कहीं उसमें बैठने का सपना तो नहीं देख रही हो? अपनी मालकिन की यह बात सिल्क को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने पलट कर जवाब दिया कि वह एक दिन ऐसी गाड़ी में जरूर बैठेंगी और वह गाड़ी खुद उनकी ही होगी।
सिल्क ने घर के काम भी बचपन से ही किए थे इसलिए उस अभिनेत्री के घर को भी सिल्क ने बहुत अच्छे से संभाला। अब सिल्क उस अभिनेत्री के निजी कामों में भी हाथ बंटाने लगी थीं। यहां तक उस अभिनेत्री का मेकअप करके उसे तैयार करने का काम भी सिल्क ने ही करना शुरू कर दिया। यहां काम करने का सिल्क को एक फायदा और मिल रहा था। वह उस अभिनेत्री से मिलने आने वाले फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों से भी जान पहचान बढ़ाने लगी थीं। एक दिन एक जाने माने फिल्म निर्माता की गाड़ी देखकर सिल्क बहुत प्रभावित हुईं और वह दूर से ही खड़े होकर उसे निहारने लगीं। इस पर उनकी मालकिन ने तंज कसते हुए कहा कि इस बड़ी गाड़ी को देखकर कहीं उसमें बैठने का सपना तो नहीं देख रही हो? अपनी मालकिन की यह बात सिल्क को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने पलट कर जवाब दिया कि वह एक दिन ऐसी गाड़ी में जरूर बैठेंगी और वह गाड़ी खुद उनकी ही होगी।

काम मिलते ही बन गईं आइटम क्वीन
सिल्क ने फिल्मों के लिए ऑडिशन देना शुरू किए। वह किसी एक्टिंग स्कूल तो गई नहीं, और न ही उन्होंने कहीं और से अभिनय सीखा। बस ऑडिशन देकर ही चीजों को धीरे-धीरे सीख रही थीं। उन्होंने एक फिल्म के ऑडिशन में ही कुछ इस तरह की कामुक अदाएं दिखाईं कि उन्हें उस फिल्म में एक आइटम नंबर करने के लिए ले लिया गया। सिल्क की अदाएं काम कर गईं और धीरे-धीरे उनके पास आइटम नंबर के लिए कई फिल्मों के ऑफर आने लगे। कुछ ही समय में सिल्क अपने समय की दक्षिण भारतीय सिनेमा की आइटम क्वीन बन गईं। उनका आकर्षण इतना तेजी से और इतना बढ़ गया था कि एक फिल्म को हिट कराने के लिए उनके लटके झटके ही काफी थे।
सिल्क ने फिल्मों के लिए ऑडिशन देना शुरू किए। वह किसी एक्टिंग स्कूल तो गई नहीं, और न ही उन्होंने कहीं और से अभिनय सीखा। बस ऑडिशन देकर ही चीजों को धीरे-धीरे सीख रही थीं। उन्होंने एक फिल्म के ऑडिशन में ही कुछ इस तरह की कामुक अदाएं दिखाईं कि उन्हें उस फिल्म में एक आइटम नंबर करने के लिए ले लिया गया। सिल्क की अदाएं काम कर गईं और धीरे-धीरे उनके पास आइटम नंबर के लिए कई फिल्मों के ऑफर आने लगे। कुछ ही समय में सिल्क अपने समय की दक्षिण भारतीय सिनेमा की आइटम क्वीन बन गईं। उनका आकर्षण इतना तेजी से और इतना बढ़ गया था कि एक फिल्म को हिट कराने के लिए उनके लटके झटके ही काफी थे।

एक गीत के लेती थीं 50 हजार
वैसे तो सिल्क को कई फिल्मों में देखा जा चुका था लेकिन वर्ष 1980 में आई तमिल फिल्म 'वंडीचक्रम' ने दर्शकों के बीच सिल्क की एक अलग ही पहचान बना दी। इस फिल्म में वह एक शराब का ठेका चलाने वाली लड़की बनकर नजर आईं। वर्ष 1989 में इस फिल्म का 'प्रेम प्रतिज्ञा' नाम से हिंदी रीमेक भी बनाया गया जिसमें मिथुन चक्रवर्ती और माधुरी दीक्षित मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। यहां से सिल्क के करियर ने एक ऊंची उछाल मारी और वह दक्षिण भारतीय सिनेमा में काम करने वाले निर्माता और निर्देशकों की आइटम नंबर के मामले में पहली पसंद बन गईं। उस समय सिल्क निर्माताओं से 50 हजार रुपये तक अपनी फीस के तौर पर लेती थीं।
वैसे तो सिल्क को कई फिल्मों में देखा जा चुका था लेकिन वर्ष 1980 में आई तमिल फिल्म 'वंडीचक्रम' ने दर्शकों के बीच सिल्क की एक अलग ही पहचान बना दी। इस फिल्म में वह एक शराब का ठेका चलाने वाली लड़की बनकर नजर आईं। वर्ष 1989 में इस फिल्म का 'प्रेम प्रतिज्ञा' नाम से हिंदी रीमेक भी बनाया गया जिसमें मिथुन चक्रवर्ती और माधुरी दीक्षित मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। यहां से सिल्क के करियर ने एक ऊंची उछाल मारी और वह दक्षिण भारतीय सिनेमा में काम करने वाले निर्माता और निर्देशकों की आइटम नंबर के मामले में पहली पसंद बन गईं। उस समय सिल्क निर्माताओं से 50 हजार रुपये तक अपनी फीस के तौर पर लेती थीं।

चार साल में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम
एक आइटम नंबर करने के लिए सिल्क की फीस भले ही ज्यादा थी लेकिन फिर भी फिल्मों के निर्माता इसके लिए हमेशा तैयार रहते थे। वह जानते थे कि सिल्क का एक आइटम नंबर ही फिल्म को हिट करा सकता है। सिल्क का नाम दिन पर दिन बड़ा होता जा रहा था। इसका असर यह हुआ कि सिल्क को फिल्म इंडस्ट्री में आए हुए सिर्फ चार साल ही बीते थे और इतने कम समय में ही उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम कर लिया था। हालांकि, अब उनका काम सिर्फ आइटम नंबर तक ही सीमित नहीं था। वह फिल्मों में कुछ छोटे-मोटे और कभी-कभी बड़े किरदारों में भी नजर आ रही थीं। तमिल फिल्म इंडस्ट्री में कमल हासन और रजनीकांत दोनों के साथ सिल्क ने खूब काम किया।
एक आइटम नंबर करने के लिए सिल्क की फीस भले ही ज्यादा थी लेकिन फिर भी फिल्मों के निर्माता इसके लिए हमेशा तैयार रहते थे। वह जानते थे कि सिल्क का एक आइटम नंबर ही फिल्म को हिट करा सकता है। सिल्क का नाम दिन पर दिन बड़ा होता जा रहा था। इसका असर यह हुआ कि सिल्क को फिल्म इंडस्ट्री में आए हुए सिर्फ चार साल ही बीते थे और इतने कम समय में ही उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम कर लिया था। हालांकि, अब उनका काम सिर्फ आइटम नंबर तक ही सीमित नहीं था। वह फिल्मों में कुछ छोटे-मोटे और कभी-कभी बड़े किरदारों में भी नजर आ रही थीं। तमिल फिल्म इंडस्ट्री में कमल हासन और रजनीकांत दोनों के साथ सिल्क ने खूब काम किया।

फिल्म का बदल दिया था मिजाज
वर्ष 1983 में आई हिंदी फिल्म 'सदमा' से सिल्क स्मिता ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। उनका इस फिल्म में होना भी एक जरूरत ही माना गया। उस समय सिल्क स्मिता के चर्चे चारों तरफ थे और यह फिल्म वर्ष 1982 में आई तमिल फिल्म 'मुंदरम पिराई (Moondram Pirai) का रीमेक है। फिल्म के निर्देशक बालू महेंद्र को इस फिल्म की कहानी बहुत धीमी लगी। वह इसमें कुछ तड़कता भड़कता करना चाहते थे और चाहते थे कि फिल्म के मुख्य कलाकार कमल हासन और श्रीदेवी के बीच कुछ बोल्ड सीन फिल्माए जाएं। उनके साथ यह संभव न हो सका इसलिए इस फिल्म में सिल्क स्मिता को लिया गया। और सिल्क ने इस फिल्म की बेहद दुख भरी कहानी में भी रंग भर दिए।
वर्ष 1983 में आई हिंदी फिल्म 'सदमा' से सिल्क स्मिता ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। उनका इस फिल्म में होना भी एक जरूरत ही माना गया। उस समय सिल्क स्मिता के चर्चे चारों तरफ थे और यह फिल्म वर्ष 1982 में आई तमिल फिल्म 'मुंदरम पिराई (Moondram Pirai) का रीमेक है। फिल्म के निर्देशक बालू महेंद्र को इस फिल्म की कहानी बहुत धीमी लगी। वह इसमें कुछ तड़कता भड़कता करना चाहते थे और चाहते थे कि फिल्म के मुख्य कलाकार कमल हासन और श्रीदेवी के बीच कुछ बोल्ड सीन फिल्माए जाएं। उनके साथ यह संभव न हो सका इसलिए इस फिल्म में सिल्क स्मिता को लिया गया। और सिल्क ने इस फिल्म की बेहद दुख भरी कहानी में भी रंग भर दिए।

शराब की गिरफ्त में आकर दी जान
सैकड़ों फिल्मों में काम करने के बाद अब सिल्क का करियर ढलान पर था। दरअसल, लोग उनके एक ही काम से ऊब गए थे। तब उन्होंने अभिनय छोड़ फिल्म का निर्माण करने में हाथ आजमाया। इसी बीच उन्होंने एक डॉक्टर से शादी भी की, जिसकी मदद से सिल्क ने फिल्मों का निर्माण किया। हालांकि, जिस तरह दर्शकों ने उन्हें नकार दिया था, उसी तरह उनकी बनाई हुई फिल्मों में भी कोई दम नहीं था। अपने करियर का ऐसा समय देखकर सिल्क बहुत निराश हुईं और उन्होंने सब से अलग होकर शराब को अपनी दुनिया बना लिया। अंत में 23 सितंबर 1996 को वह अपने घर में पंखे से लटकी हुई पाई गईं। पुलिसिया छानबीन में उनकी मौत को आत्महत्या का नाम देकर केस बंद कर दिया गया।
सैकड़ों फिल्मों में काम करने के बाद अब सिल्क का करियर ढलान पर था। दरअसल, लोग उनके एक ही काम से ऊब गए थे। तब उन्होंने अभिनय छोड़ फिल्म का निर्माण करने में हाथ आजमाया। इसी बीच उन्होंने एक डॉक्टर से शादी भी की, जिसकी मदद से सिल्क ने फिल्मों का निर्माण किया। हालांकि, जिस तरह दर्शकों ने उन्हें नकार दिया था, उसी तरह उनकी बनाई हुई फिल्मों में भी कोई दम नहीं था। अपने करियर का ऐसा समय देखकर सिल्क बहुत निराश हुईं और उन्होंने सब से अलग होकर शराब को अपनी दुनिया बना लिया। अंत में 23 सितंबर 1996 को वह अपने घर में पंखे से लटकी हुई पाई गईं। पुलिसिया छानबीन में उनकी मौत को आत्महत्या का नाम देकर केस बंद कर दिया गया।

सिल्क के जीवन पर बनी तीन फिल्में
2011 में एकता कपूर ने सिल्क के जीवन पर आधारित एक फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' का निर्माण किया। इस फिल्म का निर्देशन मिलन लूथरिया ने किया और सिल्क की भूमिका निभाई अभिनेत्री विद्या बालन ने। यह फिल्म सिल्क के भाई वी नागवारा प्रसाद को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इस पर सवाल उठाए। उठती आवाज को देखते हुए एकता कपूर ने तुरंत अपना बयान बदल दिया और उन्होंने कह दिया कि यह फिल्म सिल्क स्मिता के जीवन पर आधारित नहीं है। इसके बाद कन्नड़ भाषा में भी 'डर्टी पिक्चर- सिल्क सकत हॉट' नाम की एक फिल्म बनाई गई जिसमें सिल्क का किरदार पाकिस्तानी अभिनेत्री वीना मलिक ने निभाया। सिल्क के जीवन पर ही मलयालम भाषा में भी 'क्लाइमैक्स' नाम की फिल्म बन चुकी है। इस फिल्म में सिल्क के रूप में सना खान नजर आईं।
2011 में एकता कपूर ने सिल्क के जीवन पर आधारित एक फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' का निर्माण किया। इस फिल्म का निर्देशन मिलन लूथरिया ने किया और सिल्क की भूमिका निभाई अभिनेत्री विद्या बालन ने। यह फिल्म सिल्क के भाई वी नागवारा प्रसाद को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इस पर सवाल उठाए। उठती आवाज को देखते हुए एकता कपूर ने तुरंत अपना बयान बदल दिया और उन्होंने कह दिया कि यह फिल्म सिल्क स्मिता के जीवन पर आधारित नहीं है। इसके बाद कन्नड़ भाषा में भी 'डर्टी पिक्चर- सिल्क सकत हॉट' नाम की एक फिल्म बनाई गई जिसमें सिल्क का किरदार पाकिस्तानी अभिनेत्री वीना मलिक ने निभाया। सिल्क के जीवन पर ही मलयालम भाषा में भी 'क्लाइमैक्स' नाम की फिल्म बन चुकी है। इस फिल्म में सिल्क के रूप में सना खान नजर आईं।
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